Thursday, July 26, 2012










फेशबुक के मित्र.... 


फेशबुक के मित्र हैं ये, जो मेरे दिल में रहते हैं, 
कुछ सहमे से रहते हैं, कुछ बिन्दास चहकते हैं। 
कुछ जाने पहचाने हैं पर कुछ बिलकुल अनजाने है 
कुछ तो मेरे अपने है पर कुछ खुद से भी बेगाने है। 


सप्ताह महीने मे कुछ, कभी कभी ही दिखते है 
कुछ तो ऐसे भी हैं जो दिन रात चिपके रहते हैं। 
कुछ आते है तो श्वालश में रौनक सी आ जाती है 
कुछ की तश्वीरे सबके दिल को छू जाती है। 
कुछ संदेशों के साथ भीना भीना महकते हैं, 
फेशबुक के मित्र हैं ये, जो मेरे दिल में रहते हैं। 


कुछ नकली चेहरो परिचय से, फेशबुक की बगिया को 
अश्लील विचारों फोटो से दूषित करते रहते हैं। 
कुछ पूर्वाग्रह से ग्रसित राजनीति के भावों से 
देश के आभा मण्डल को बेवजह प्रदूषित करते हैं। 
ये मित्रो के वेश में दुश्मन बनकर विचरते हैं, 
फेशबुक के मित्र हैं ये, जो मेरे दिल में रहते हैं। 




  पंकज श्रीवास्तव